Sunday, December 9, 2012

कहीं आप शैतान की चाल के शिकार तो नहीं हो गए हैं ?



सारे झगड़ों की बुनियाद जहालत है और इनका ख़ात्मा इल्मो-हिकमत (Knowedge & Wisdom) से ही हो सकता है।
अल्लाह का एक नाम हकीम है, अल्लाह के रसूल हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्ल्म का एक ख़ास काम हिकमत सिखाना भी था। उन्होंने क़ुरआन दिया। क़ुरआन अल्लाह का कलाम है और यह किताबे हिकमत है। इसलाम में हिकमत पर बड़ा जोर है। हिकमत अगला दर्जा है, हिकमत से पहले इल्म का दर्जा है। जानने का नाम ‘इल्म‘ है और उसे बेहतरीन ठंग से बरतने का नाम ‘हिकमत‘ है। अल्लाह की तरफ़ से पहली वही का पहला लफ़्ज़ ‘इक़रा‘ यानि पढ़ है।
मुसलमान आज इल्म से भी कोरा है और हिकमत से भी। जिसे इस बात में शक हो तो वह इसे टेस्ट कर सकता है। कलिमे ‘ला इलाहा इल्लल्लाह, मुहम्मदुर्रसूलुल्लाह‘ से ही ख़ुद को परख कर देख लीजिए। सभी जानते हैं कि इसलाम की तालीम यह है कि अल्लाह की ज़ात व सिफ़ात में और उसके अफ़आल (कामों) में किसी मख़लूक़ को शरीक न करो।
क्या आप अल्लाह की ज़ात व सिफ़ात और अफ़आल को जानते हैं ?
क्या आप जानते हैं कि आपकी किस बात से अल्लाह की ज़ात (हस्ती) में, उसकी सिफ़तों (गुणों) में और उसके अफ़आल (कामों) में शिर्क हो सकता हैं ?
’मुहम्मदुर्रसूलुल्लाह‘ कहने का मतलब है, हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्ल्म के रास्ते पर चलना। उनके दिखाए रास्ते पर चलने के लिए उनकी ज़िंदगी के हालात मालूम होना बहुत ज़रूरी है।
क्या कभी आपने उनकी सीरत (जीवनी) पढ़ी है ?
क्या आप जानते हैं कि हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्ल्म कब पैदा हुए ?
जब उनकी वालिदा का इंतेक़ाल हुआ, तब वह कितने साल के थे ?
उन्होंने पहला निकाह कब किया, दूसरा निकाह पहले निकाह के कितने साल बाद किया और उनके कुल कितने बच्चे हुए, उनके बच्चों का निकाह किस किस से हुआ और वे कितने साल ज़िंदा रहे और उन्होंने अल्लाह के दीन की ख़ातिर क्या क्या क़ुरबानियां दीं ?
क्या आप जानते हैं कि अल्लाह के रसूल हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्ल्म की बीवियां उम्मत के तमाम मोमिनीन की माएं हैं ?
क्या आप जानते हैं कि उम्मुल मोमिनीन ने अपनी ज़िंदगी में क्या किया, उनमें सबसे पहले किसकी वफ़ात हुई और सबसे बाद में किसकी ?
अगर आप यह सब नहीं जानते तो क्या आपको यह सब जानने की ज़रूरत नहीं है या इन बातों को जाने बिना आपको दीन का इल्म और हिकमत हासिल हो सकता है ?
जिसके पास इल्मो हिकमत न हो, उसे शैतान आसानी से अपने जाल में फंसा लेता है। शैतान इंसान को इंसान से लड़वाता है। आप देखेंगे कि अल्लाह और उसके रसूल स. के नाम पर मुसलमान आपस में लड़ रहे हैं। अगर आप भी किसी के खि़लाफ़ लड़ रहे हैं तो प्लीज़ चेक कीजिए कि कहीं आप शैतान की चाल के शिकार तो नहीं हो गए हैं ?

1 comment:

कुमार राधारमण said...

आत्म-स्मरण बना रहे। कोई शैतानी चाल क़ामयाब नहीं हो सकती।